Anything goes... Just came by some of our old photos... constant debate on saying 'what is' versus' how we want it to be'... My life's story so far, especially the nice bits that are worth remembering and just sometimes, lessons that are worth learning... And my Veg. Cooking Recipes with videos!:)
Friday, May 9, 2014
vaise hi, ya ho sakta hai, yahi sabse zaroori ho...
जा रहे हैं आज शाम मेडिटेशन के लिये, सोचने लग गये, कि स्क्रिप्ट में कितना काम बाकी है, पर काम भी तो ईमानदारी और प्रेम से ही होना चाहिये न (नहीं तो कितनी लाईने काटनी पर गईं)... जो है, (सामने) वही पर्पस हो तो? यही तो ओशो कहते हैं, यही शायद गीता में भी लिखा है? मतलब, कभी-कभी आप दूर की सोचते हैं और जो सामने है, वह चूँकि पहले का सोचा हुआ था, अब सामने आया है, तो यही, इस समय ‘डेस्टिनी’ है... है ना? इस समय भले ही फ्रिव्लस् लगे, जी तो आप लाइट-हार्टेड दिनों के लिये ही रहे हैं... स्ट्रगल तो आप महान बनने के लिये करते हैं, दूसरों की देखा-देखी... मज़े में रहेंगे तो शायद मज़े से काम हो भी जाये... योग...
To submit to what is, in this moment is the work… rest will happen through me or rather, my body governed by source energy, when I allow it.
तो ऐसा है, कि रात के लिये भी इडली-सांभर बन रहा है... कपड़े धुल गये हैं... सर में दर्द तो कर लिया, पर सही हो जायेगा... नहा लेंगे, खा लेंगे, फिर मज़े से जाया जायेगा
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