Wednesday, April 30, 2014

"आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे..."

किसी ज़माने में मेरे बाल छोटे हुआ करते थे... बड़ी बहन बरखा, सलून (आजकल जिसको ‘सलों’ बोलते हैं) में ले जा कर कहती थी, ‘प्रिन्सेस डायना जैसा’, या “शैगी’, या ‘शी हैज़ वेवी हैर, वेवी हैर, step-cut ठीक रहेगा ना?’... बहुत अच्छा लगता था... तो खैर, हमने (न सिर्फ़ लखनऊ, कानपुर, बल्कि कलकत्ते में भी ‘मैं’ को ‘हम’ कहा जाता है), सन् १९९९ में जर्मनी के इंटर्नशिप पर जाने से पहले, यह सोच कर, कि ‘वहाँ कौन पैसे खर्च करेगा?’ ‘‘घोस्ट’ की डमी मूअर के जैसे’ कह कर, बाल बहुत छोटे कटवा लिये... (बरखा की शादी हो चुकी थी ना)... पर, बरखा की आदत थी, तो हमने वहाँ के साथियों से कह दिया कि जब हमारे बाल बहुत बेतरतीब हो जायें तो बतला देना...


तो कुछ पाँच महीनों के बाद मेरी रूम-मेट कोली (निकोल) ने कह दिया, “योर हैर हैज़ ग्रोन बिग, यू कैन गो टू द बचर नाउ”. हमने अनुमान लगाया कि शायद ‘बार्बर’ को जर्मन में ‘बचर’ कहते होंगे. एक दो दिन के बाद फिर उसने कहा, “यू शुड गो टू द बचर नाउ”... उस समय टेबल पर नील्स भी था, उसने उससे जर्मन में कुछ पूछा (बहुत हल्का सा अंतर होता है, उनके वक्तव्य और प्रश्न के टोन में, कुछ समय बाद थोड़ा बहुत समझ आने लगा था, तो हम को लगा क्योंकि यह लोग बहुत तमीज़दार हैं, नील्स उससे पूछ रहा होगा कि शिष्टाचार के नाते यह कहना ठीक है क्या)... उनके एक दो सवाल-जवाब के बाद, नील्स ने पलट कर, अपने कनपटी के पास बालों को पकड़ते हुए हमसे पूछा, “व्हाट डू यू कॉल द मैन हू कट्स योर हैर?” हमने कहा, ‘बार्बर’... वह हँसने लगा, ‘देन वाय डिड यू नॉट करेक्ट हर? शी इज़ सेन्डिंग यू टू द बुचर!’ You can donate your hair to cancer patients, here... http://hairaid.org.in/

Sunday, April 6, 2014

Happ B'Day, bhai:)

By the age of 3, I was adamant about getting a baby brother. After several attempts to dissuade me from bringing home other people’s cute ‘kakas’ (babies) from the Victoria Memorial park, on various outings with family, my mother specifically suggested I ask my father… He laughed it off… Upon my pestering her another day, my mother told me that my father would bring the baby… I believed her. Come evening, although he kept denying, I made my father open his briefcase as soon as he returned from office, looking for ‘kaka’… His laughter still rings in my ears… (He had a beautiful laugh) I was disappointed… and the whole family laughed merrily at my expense… Finally, one day, my mother told me to pray to her favourite Krishna frame, and asked me to promise to him that I would put a garland around him and offer 'laddoos' when my brother comes. Which I did, when in a few months came our precious Guddu… It was a difficult birth and afterwards the baby did not cry for 3 days… Papa was awake during the entire time… The nurse asked Mommy to offer prayers at the Bandel Church when the baby is fine. The whole family went. Papa named him Vivekanand. We call him Guddu at home. The sweetest baby in the world, who even as a child treasured his freedom immensely….


As a baby, he loved to listen to the stories I read him… and

soon enough, he wanted to read on his own. To be continued...:)